Month: February 2022

कुण्ड- प्रपात- झील

भीम कुंड अपनी अबूझ गहराई के लिये विश्व प्रसिद्ध भीम कुंड छतरपुर जिले में स्थित है । समुद्र की गहराई लगभग साढ़े चार किमी तक होती है। किन्तु, तमाम वैज्ञानिक…

रानी दुर्गावती

रानी दुर्गावती कालिजंर महाराज कीर्तिराय चंदेल की पुत्री थी । इनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को हुआ था। उनकी एकमात्र सतान होने के कारण इनकी शिक्षा – दीक्षा एक राजकुमार…

आल्हा और ऊदल (Alha & Udal)

आल्हा और ऊदल का नाम न सिर्फ बुन्देलखण्ड वल्कि संपूर्ण भारत में वीरता का पर्यायवाची माना जाता है। चंदेल कालीन भारतीय इतिहास राजा परमर्दि देव चन्देल के सेनापति थे। लोकमत…

रानी लक्ष्मी बाई (Rani Laxmi Bai)

सम्पूर्ण विश्व में जब वीरता के प्रतिमानों का उदाहरण दिया जाता है तो उसमें नारी शक्ति के क्षेत्र में रानी लक्ष्मी बाई अद्धितीय हैं । अंग्रेजों से हुये संघर्ष में…

खेत सिंह खंगार (Khet Singh Khangar)

बुदेलखण्ड की शौर्य परम्परा के अप्रतिम रत्न के रुप में राजा खेत सिंह खंगार का नाम प्रसिद्ध है। वीर खेत सिंह खंगार जी उस समय के प्रतापी राजा पृथ्वी राज…

लाला हरदौल (Lala Hardol)

बुंदेली जन स्मृति में लाला हरदौल का एक विशिष्ठ स्थान है।सदियों के बीत जाने के बाद भी रिश्तो की पवित्रता के नाम पर आज भी हरदौल की दुहाई दी जाती…

गढ कुड़ार (Garh Kudar)

गढकुडार का किला बुंदेलखण्ड के इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखता है। अपनी मार्ग की भूल भुलैया के लिये प्रसिद्ध गढ कुडार मध्य राजपूत कालीन स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है।…

ओरछा (Orchha)

बुदेंलखण्ड का वर्णन ओरछा के उल्लेख के बिना अधूरा सा है। ओरछा राज्य की स्थापना पंद्रहवी शताब्दी में रुद्रप्रताप सिंह के द्वारा की गयी थी। बुदेलखण्ड की धरा को यह…

खजुराहो (Khajuraho)

बुंदेलखण्ड के वैभवशाली अतीत का प्रतिनिधित्व यदि एक नगरी मात्र को करना हो तो वह खजुराहो ही है। चंदेल कालीन अमर शिल्प कला की इस प्रतीक नगरी में हम वह…

स्वर्णिम बुंदेलखंड

विंध्याचल पर्वत माला की तराई क्षेत्र में स्थित आर्य संस्कृति के पुण्य क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला भूभाग बुंदेलखंड कहा जाता है आदिकाल से ही इस धरती को…