कुण्ड- प्रपात- झील

भीम कुंड

अपनी अबूझ गहराई के लिये विश्व प्रसिद्ध भीम कुंड छतरपुर जिले में स्थित है । समुद्र की गहराई लगभग साढ़े चार किमी तक होती है। किन्तु, तमाम वैज्ञानिक मेधा के वावजूद अभी हम भीम कुंड की सही गहराई का अनुमान लगाने में अक्षम हैं। भीम कुंड की उत्पत्ति किसी उल्का पात से होने का भी अनुमान लगाया जाता है। वैदिक साहित्य में भीम कुंड का उल्लेख इस प्रकार मिलता है कि नारद जी के गंधर्व गायन से प्रसन्न होकर इस कुण्ड से नील देह भगवान विष्णु प्रगट हुये। जिस कारण इस कुण्ड का जल नील वर्ण होगया। कुण्ड जल की स्वच्छता अप्रतिम है। यह हिमालयीन जल जैसी  अनुभूति प्रदान करता है।भीम कुंड का उल्लेख महाभारत में वनवास काट रहे पांडवो के द्वारा प्राप्त होता है । द्रौपदी को प्यास लगाने पर वीर अर्जुन द्वारा इस स्थान तक पहुचने के लिये सीढी अपने वाणो से बनायी थी। नकुल ने जल स्रोत पता किया एवं भीम के गदा प्रहार से इस कुण्ड का निर्माण  होना माना जाता है।

अपने पौराणिक महत्व के अतिरिक्त भीम कुण्ड को विश्व प्रसिद्धि का कारण भारत मे आयी सुनामी के पूर्व इस कुण्ड का जल स्तर आश्चर्य जनक रूप से बढ जाना है । कुण्ड की अत्याधिक गहराई मे तेज प्रवाह इसके अन्त: महासागरीय संपर्क की संभावना की पुषिट करते है अन्य भूगर्भीय घटनाओं के पूर्व भी इस कुण्ड का जल स्तर नाटकीय रूप से परिवर्तित होने  के प्रमाण मिलते हैं । भीम कुण्ड की थाह लेने की एक असफल कोशिश डिस्कवरी चैनल के गोताखोरो के द्वारा भी की गयी थी । इस कुण्ड  की एक अन्य विशेषता यह है कि यदि कोई व्यक्ति जल में डूव जाये तो उसका शव बाहर नही आता है। जवकि सामान्य सिद्धातं के अनुसार अन्य जल स्रोतो मे शव कुछ समय बाद उपर आ जाता है। अद्भुत प्राकतिक छटा के साथ यह दर्शनीय स्थल है ।

बृहस्पति कुंड

 

प्राचीन बुदेलखण्ड में प्राकतिक नैसर्गिक छटा एवं अध्यात्मवेत्ताओं के संगम स्थल के रूप मे यदि एक स्थान को निरुपित करना हो तो वह वृहस्पति कुंड ही होगा। इसे बुन्देलखंड  के नियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है । इस प्रपात की उचाई लगभग ४०० फुट है। यह पन्ना से लगभग 25 किमी दूरी पर पहाडी खेरा नामक ग्राम के निकट स्थित हैं। आदि काल मे यहां देवगुरु बृहस्पति  के द्वारा एक आश्रम बनाये जाने का प्रमाण मिलता है I इस के आसपास बहुतायत में गुफाये भी स्स्थित है । जिनमें तपस्वी वर्षो आत्मानुसंधान किया करते थे। यह भी जनश्रुति है कि अपने वनवास काल में भगवान श्री राम यहां तपस्वीयों से मिलने आये थे। बृहस्पति कुंड स्थानीय निवासियों के लिये एक बहुत लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन है मुख्यतः वर्षा काल मे जब प्रवाह अपने पूर्ण वेग पर होता है इसकी सुंदरता देखते बनती है।

 

 

 निदान प्रपात एवं कुंड

प्रकृति का यह सुन्दर उपहार दमोह जिले के कटंगी के निकट स्थित है। वर्तमान में यह एक बहुत ही लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेस बन चुका है । वर्षा काल में जल प्रवाह एवं चारो ओर छिटकी हरिघली में इस स्थान की शोभा देखते ही बनती है ।

शबरी जल प्रपात

बुंदेलखंड में रामायणकालीन स्थल बहुतायत में पाये जाते है। स्वयं श्री राम के चित्रकूट निवास ने इस क्षेत्र को एक विशेष सन्दर्भ प्रदान किया । शबरी जल प्रपात भी उन्हीं स्थलो में एक है। प्रकृति की पूर्ण सौन्दर्यता बौध एवं धार्मिक महत्व इस स्थल को अप्रतिम बना देती है। यह स्थल चित्रकूट के निकट मारकुंडी ग्राम से 8 Km की दूरी पर स्थित है । आज जबकि अधिकांश प्रसिद्ध प्राकतिक स्थल पर्यटन प्रदूषण के गढ बनते जा रहे हैं। इस जल प्रपात का सुरम्य एकान्त सभी को एक अकिंचन अनुभव प्रदान करता है। इस प्रपात का मूल उदगम सरभंग ऋषि के आश्रम से निकट होने के कारण इसको महान राम भक्त तपस्विनी शबरी के नाम से जोड़ कर संदर्भित किया जाता है

शबरी जल प्रपात, चित्रकूट

किलकिला जलप्रपात

प्राकृतिक रूप से समृद्ध मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में पन्ना नगर के बाईपास के निकट यह प्रपात स्थित है। नदी से कुण्ड में जल एकत्र होने के दौरान यह मनोरमकारी प्रपात निर्मित होता है। इसका पूर्ण वेग वर्षाकाल एवं कुछ काल तक शीत काल मे अधिक दिखता है। बुंदेलखंड का यह एक सुंदर प्रपात मे से एक है। किलकिला नदी का उद्गम पन्ना जिले मे बहेरा के निकट छपरा से हो कर पन्ना मे ही केन नदी में विर्सजित हो जाती है। इसी किलकिला नदी के किनारे पन्ना में द्रोण वंशज वाकाटक वंश के राजा भीमसेन ने विंध्य शक्ति की उपाधि प्राप्त कर पन्ना को अपनी राजधानी बनाया ।

किलकिला जल प्रपात, पन्ना

गड़ोही जल प्रपात

छतरपुर जिले के बक्सवाहा के निकट गडोही जल प्रपात स्थित है। बक्सवाहा का क्षेत्र अपने जंगलो एवं खनिज समृद्धि के लिये विख्यात हैं । प्रकृति के इस क्षेत्र मे आकर पर्यटक न सिर्फ प्राकृतिक सुन्दरता वल्कि एक एसे अनछुये एकातं का भी अनुभव करते है ।

गडोही जलप्रपात, बक्सवाहा

भाल कुण्ड जल प्रपात

भाल कुण्ड जल प्रपात बेतवा की सहायक बीना नदी में बना हुआ है । यह सागर विदिशा NH पर स्थित है। यह राहतगढ के निकट स्थित होने के कारण राहतगढ जल प्रपात के नाम से भी जाना जाता है । सागर- भोपाल राजमार्ग में यह ६० km की दूरी पर है। यदि आप विशुद्ध प्राकृतिक पर्यवास में किसी प्रपात का आनंद लेना चाहते हैं। क्योंकि यहाँ आस पास कोई मानव निर्मित व्यवस्था नही है । और यह प्रपात वन क्षेत्र में स्थित है सिर्फ मुख्य सड़क के किनारे ही कुछ फल भुट्टे वगैरह बिकते है। अतः स्वयं के व्यवस्था की ही अपेक्षा है। एवं यहां घूमते समय फोटो या सेल्फी के लोभ में अधिक असावधानी न बरतें । बुन्देलखण्ड के सुन्दरतम जल प्रपातों में से एक है

भाल कुण्ड प्रपात,राहतगढ

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