दमोह जिले की यह तहसील अपने दुर्ग के लिये जानी जाती है। यहाँ का इतिहास आदि कालीन सभ्यता का प्रतिनिधि है। यहां झूरी नदी के किनारे शैल चित्र प्राप्त हुये है । एक मठ भौरे की बावली के निकट स्थित है इसके गुप्तकालीन होने की संभावना है। इस बात के भी एतिहासिक साक्ष्य प्राप्त होते हैं कि जब दिल्ली का नाम जोगिनी पुर था तब इस क्षेत्र को बडिहाटिन के नाम से जाना जाता था । यहा का स्थापत्य निर्माण कार्य कल्चुरी राजवंश से प्रारंभ होता है। तत्पश्चात यहां के अभिलेखों में गयासुद्दीन तुगलक का एवं मुहम्मद तुगलक का भी उल्लेख प्राप्त होता है।
Related Posts
कबरई (Kabrai)
- bundelipedia
- November 19, 2022
- 0 min read
- 0
बुदेलखण्ड ग्रेनाइट खनिज के लिये एक समृद्ध इलाका रहा है। […]
जतारा (Jtara)
- bundelipedia
- February 23, 2023
- 0 min read
- 0
बुंदेलखंड के टीकमगढ की जतारा तहसील एतिहासिक रुप से समृद्ध […]
शाहगढ़ (SAHGARH)
- bundelipedia
- December 26, 2022
- 1 min read
- 0
यह सागर जिले की एक तहसील है। एतिहासिक रुप से […]