बुदेंलखण्ड का वर्णन ओरछा के उल्लेख के बिना अधूरा सा है। ओरछा राज्य की स्थापना पंद्रहवी शताब्दी में रुद्रप्रताप सिंह के द्वारा की गयी थी। बुदेलखण्ड की धरा को यह सौभाग्य प्राप्त है कि उसने भगवान श्री राम के वनवासी स्वरूप को चित्रकूट में तथा राजा राम के रुप में ओरछा में कृपा कटाक्ष प्राप्त किया । ओरछा की प्रसिद्धि राजा मधुकर शाह की पत्नि गणेश कुवंरि के द्वारा राम लला की पुष्य नक्षत्र मे पदयात्रा करते हुये लायी गयी प्रतिमा की मंदिर स्थापना के उपरांत अधिक हुयी। रानी गणेश कुवंरि एक प्रसिद्ध राम भक्त थी । आज भी यह मन्दिर भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र है । यहाँ भगवान श्रीं राम को गार्डो के द्वारा सलामी दी जाती है प्रतिदिन आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम स्टेट पुलिस द्वारा सम्पन्न होता है।
इसके अतिरिक्त ओरछा को मुगल- बुंदेला मित्रता के प्रतीक के रुप में भी हम पाते है। ओरछा स्थित जहाँगीर महल इसकी पुष्टि करता है । बुंदेला राजा वीर सिंह के द्वारा अबुल फजल की हत्या करने से जहांगीर उससे अत्याधिक प्रसन्न था। इसके साथ ही बुंदेलखण्ड के सबसे लोक प्रिय लोकदेवता हरदौल जी के बलिदान की पटकथा भी यही घटित हुयी थी । हरदौल के भाई जुझार सिंह ओरक्षा के राजा थे। आज भी बुन्देलखण्ड मे विवाह के समय भात मांगें जाने की परम्परा है । स्वतंत्रता के संघर्ष काल मे क्रांति पुरोधा चन्द्रशेखर आजाद जी के भी कुछ काल निवास के प्रमाण मिलते हैं ।