जेजाकभुक्ति व बुंदेलखंड के शासक
जेजाकभुक्ति के प्रारंभिक शासक प्रतिहार शासको के सामन्त थे । इन्होंने खजुराहो को अपनी राजधानी बनाया । नत्रक इस वंश का पहला राजा था (संभवतः इन्हों के नाम पर बुंदेलखंड के नाम जेजाकभुक्ति पड़ा) इनके अलावा और भी अन्य सामन्त थे जिनमे हर्ष प्रमुख थे।
यशोवर्मन (925 – 950 ई0)
हर्ष का पुत्र यशोवर्मन चंदेल वंश का पराक्रमी शासक था ।
विजय – कालिंजर,गौड़,खस,कोशल, कश्मीर , मालव,चेदि,कुरु गुर्जर आदि।
राज्य विस्तार- गंगा एवम यमुना तक
निर्माण – विष्णु मंदिर ( कंदरिया महादेव मंदिर) जिसे चतुर्भुज मंदिर भी कहा जाता है यशोवर्मन ने इस मंदिर में वैकुण्ठ की मूर्ति स्थापित कराई थी।
धंगदेव (950 – 1002 ई0)
यशोवर्मन का पुत्र धंगदेव पिता के सामान पराक्रमी एवं महत्वकांक्षी था , उसे चन्देलों की स्वाधीनता का वास्तविक जन्मदाता माना जाता है उसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की धंग ने कालिंजर को अपनी राजधानी बनाया था , धंग प्रसिद्द विजेता के साथ ही एक उच्च कोटि का निर्माता भी था धंग के शासन काल में निर्मित खजुराहो का विश्व प्रसिद्द मंदिर स्थापत्त्य कला का एक अनोखा उदाहरण है ( जिननाथ,बैध्यनाथ ,विश्वनाथ ) धंग ने प्रयाग में गंगा -यमुना के संगम में अपना शरीर त्याग दिया
गंडदेव (1002 – 1019 ई0)
धंग का पुत्र गंड चंदेल वंश का शासक हुआ उसने १००८ में महमूद गजनवी के विरुद्ध आनंदपाल के द्वारा बनाये गए संघ में भाग लिया . त्रिपुरी के कलचुरी-चेदि तथा ग्वालियर के कच्छपघात शासक गंडदेव के आधीन थे