चरखारी (charkhari)

बुंदेलखण्ड का कश्मीर कहा जाने वालt चरखारी अपनी झीलों के लिये विख्यात है । चरखारी नगर को स्टेट का दर्जा अंग्रेजी शासन काल में प्राप्त हुआ था । इसके पहले राजा खुमान सिंह का राज तिलक 1765 में हुआ था। वर्तमान में जमसिह देव यहां की राजगद्दी मे आसीन है। यधपि रियासत का विलय स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत संघ में कर दिया था । यहां की कई विशेषता में एक यहां की रियासत कालीन तोपें है। जिनमें प्रमुख नाम गर्भ गिरावन,धरती धड़कन,काली सहाय कडक , सिद्ध वख्शी नाम की तोपे थी । जिनसे दिन में  तीन बार सलामी भगवान कृष्ण को दी जाती थी। इस रियासत के किले का नाम मंगल गढ किला है । इसकी स्थित्ति एवं सामरिक सुद्दृढता का अनुमान इस से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में भीं यह किला भारतीय सेना के नियंत्रण भे में देश की सुरक्षा मे अपना योगदान कर रहा है ।

प्राकृतिक सुन्दरता को विशेष रुप यहाँ की मलखान सागर वशीं सागर विजय सागर जय सागर रतन सागर कोठी ताल झीलो से प्राप्त होती है । यह झीलें न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता वल्कि जल प्रबधंन का भी बेहतरीन उदाहरण है । इसका कारण इनका अंंर्तयुग्मित होना है। चरखारी का ढयोड़ी दरवाजा जिसे महाराष्ट्रीयन इजीनियर एकनाथ जी द्वारा बनाया गया था। इसके साथ ही 1883 से प्रारंभ गोवर्धन नाथ जू का मेला बुंदेलखण्ड के प्रमुख मेलों मे से एक है।

Leave a Reply