ललितपुर

वर्तमान ललितपुर जिला बुंदेलखंड के प्राचीन चंदेरी राज्य के अंतर्गत भू भाग था। पौराणिक काल के ग्रंथ विष्णु पुराण एवं वराह पुराण मे इस क्षेत्र का उल्लेख प्राप्त होता है । ललितपुर का नाम दक्षिण के एक राजा सुम्मेर सिंह की पत्नि ललिता देवी के नाम पर रखा गया । ललितपुर जिले का प्रथम सन्दर्भ अबुल फजल की आइन ए अकबरी मे प्राप्त होता है। देवगढ मे गुप्तकालीन दशावतार मंदिर एवं अभिलेख भी प्राप्त हुये है। चंदेल काल में भी यह एक समृद्ध क्षेत्र था । चदेल शासक कीर्ति वर्मन के प्रधान मंत्री वत्सराज के द्वारा देवगढ की पहाडी पर दुर्ग का निर्माण किया गया। बुदेला राजाओं में मलखान सिंह के राजा बनने पर यह उसके राज्य क्षेत्र में था। इसके पश्चात प्रमुख शासक के रूप मे गौडं शासक हुये । प्रसिद्ध वीरांगना दुर्गावती जी का विवाह गढमण्डल के शासक दलपति शाह से हुआ था। शेर शाह सूरी ने चन्देरी एवं वर्तमान ललितपुर पर अपना अधिकार किया था । जिसको तत्पश्चात बुदेला राजा रुद्र प्रताप बुदेला ने मुक्त करवाया था। अकबर के शासन काल में यह क्षेत्र मालवा के अंतर्गत था। शाहजहाँ के शासन काल में . यह क्षेत्र बुंदेला राजा पहाड सिंह के प्रबंध में था। बुंदेल केसरी राजा छत्रसाल ने इस क्षेत्र को वगश खाँ से सहायता के बदले वाजीराव पेशवा को दिया | जिससे यह मराठा शासन के अतर्गत आ गया ।1857 के स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर राजा मर्दन सिंह ने संभाली थी।1858 में अंग्रेजों ने इस पर पुनः कब्जा कर लिया । 1891 से 1974 तक यह भूभाग झांसी जिले का हिस्सा रहा । 1974 मे इसे स्वतंत्र जिला घोषित किया । तालबेहट का किला, राज घाट बाधं यहाँ के प्रमुख आकर्षण है।