महोबा जिले की तहसील श्री नगर का एक समृद्ध इतिहास है। यह नगर प्राचीन काल में राजा छत्रसाल की रियासत का भाग हुआ करता था । श्री नगर को राजा मोहन सिंह जो कि राजा छत्रसाल के पुत्र थे उनके द्वारा बसाया गया था। कालान्तर में यह चरखारी स्टेट का भाग होगया । यह नगर प्राचीन काल में राज्य की टकसाल हुआ करती थी । यहां राजाज्ञा से सिक्के ढाले जाते थे। इन सिक्को को घुटउआ के नाम से भी जाना जाता था। इन सिमकी की चांदी की गुणवत्ता प्रसिद्ध थी। इन सिक्कों के खोट न होने के विषय में कहावत प्रसिद्ध थी।बुदेलखण्ड क्षेत्र मे इन सिक्कों का प्रयोग व्यापक रूप से होता था। 1857 के गदर के बाद व्रिट्रिश स्वामित्व पूर्ण रुप से लागू होने पर इन सिक्कों का प्रयोग वंद किया गया । श्रीनगर की टकसाल इस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केन्द्र थी। इसके साथ ही राजा मोहन सिंह द्वारा निर्मित किला भी मुगल बुंदेली शैली के सम्मिश्रण का अप्रतिम उदाहरण है।
वर्तनान में श्रीनगर को महोबा जिले की तहसील के अंतर्गत माना गया है। यहां प्राचीन हनुमान मंदिर भी स्थित है। जिसकी क्षेत्र की जनता की गहरी आस्था है। इसके साथ ही श्रीनगर अपने पीतल के काम के लिये अद्धितीय स्थान रखता है। यहां तैयार की गयी पीतल की मूर्ति वर्तन आदि अद्भूत है । एवं उचित कीमत पर प्राप्त हो जाते है। श्रीनगर की पीतल की यह कारीगरी अर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। श्रीनगर कानपुर – सागर हाइवे पर महोबा छतरपुर के मध्य स्थित हैं।